देश के सुदूर स्थानों पर सेवा कर रहे 18 समाजसेवियों/संस्थाओं को दिया गया संत ईश्वर सम्मान
विनोद तकियावाला स्वतंत्र पत्रकार
नई दिल्ली:देश के सुदूर स्थानों पर सेवा कर रहे 18 समाजसेवियों/संस्थाओं को दिया गया संत ईश्वर सम्मान। संत ईश्वर सम्मान कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी ने कहा कि एक कालखंड ऐसा था, जब लोग सम्मान के लिये काम करते थे लेकिन आज भारत सरकार और संत ईश्वर संस्थान के माध्यम से सम्मान लोगों को ढूंढते हुए उनके पास जा रहे हैं,चाहे वह पद्मश्री,पद्मभूषण,भारत रत्न या संत ईश्वर सेवा सम्मान हो। प्राचीन ग्रथों में सेवा को धर्म के रुप में कहा गया है सेवा परमो धर्मां:, भगवतगीता में भी कर्मण्येवाधिकारस्ते कहा गया हैं, क्योंकि भारत के रक्त में ही सेवा हैं। सेवा के लिये धन, बुध्दि, साधन हो ऐसा जरुरी नहीं हैं, अंतर्मन के भाव के बिना सेवा संभव नहीं हैं।हम कालखंड से ही देखते आए हैं,गाय को रोटी और पक्षियों को दाना खिलाया जाता हैं।अतिथि देवो भव की संस्कृति भारत की हैं, दरवाजे पर आए को विन्मुख हो कर ना भेजना ऐसा होता आ रहा है इस लिये भारत का व्यक्ति कहता हैं कि धरती पर केवल मेरा अधिकार नहीं हैं,पशु,पक्षी,देव,मानव सबका हैं और ईश्वर की आराधना के रुप में भी हम सेवा ही करते हैं,इसलिये सेवा का दायरा सीमित नहीं हैं ।अंदर से ईश्वर को जागृत करना ही सच्ची सेवा हैं।जो संत ईश्वर सेवा फाऊंडेशन कर रहा है |
सामाजिक सेवा संगठन संत ईश्वर फाउंडेशन व राष्ट्रीय सेवा भारती के संयुक्त तत्वाधान में राजधानी दिल्ली के नवनिर्मित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर,सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम पूसा संस्थान आयोजित इस समारोह में स्वामी चिदानंद सरस्वती (अध्यक्ष,परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश),विशेष सान्निध्य सुरेश भैय्या जी जोशी(राष्ट्रीयस्वयंसेवक संघ),मुख्य अतिथि ओम बिरला (लोकसभा स्पीकर),विशिष्ट अतिथि डॉ.जितेंद्र सिंह(केंद्रिय राज्य मंत्री,भारत सरकार) के सान्निध्य में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। इस समारोह का उद्देश्य उन व्यक्तियों ,सेवा साधकों एवं संस्थाओं को सम्मानित करना है जो अपने जीवन में प्रचार-प्रसार से दूर रहकर केवल समाज की सेवा में रत राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं।
इसके पहले ओम बिरला ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में जिन्होंने उत्कृष्ट कार्य किया जिससे समाज की प्रेरणा मिलेगी।संत ईश्वर फाउंडेशन समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचित लोगों के जीवन में बदलाव के लिए कार्य कर रही है ।महात्मा गांधी ने भी समाज में बदलाव के लिए के वांछितों के लिए कार्य किया था।संत समाज की प्रेरणा से देश की युवाओं को प्रेरणा मिली है कि समाज में जहां ज़रूरत हो वो भी वहां काम कर सकते हैं ।आज ज़रूरत है वंचित समाज को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना । जो सेवा भारती कर रही है और के उन्हें स्वाब्लंबित कर रही है ।केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि कार्यपद्धति , पुरस्कार चयन ,दिव्यांगनों का चयन,वैज्ञानिकों का चयन ,संत ईश्वर फाउंडेशन समाज के ऐसी विभूतियों को सामने लाने का काम कर रही है।जीवन संग्राम है,कौन जीता,कौन हारा ये ज़रूरी नहीं है
,ज़रूरी है जीवन के संग्राम में रहना।जीवन संग्राम पुस्तक के लिये संत ईश्वर को बधाई।संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने संत ईश्वर सम्मान का परिचय देते हुए बताया कि संत ईश्वर सम्मान की संकल्पना 9 वर्ष पूर्व हुई थी और 8 वर्ष पूर्व पहली बार संत ईश्वर सम्मान देना प्रारंभ हुआ था।संत ईश्वर सम्मान ने 8 वर्षों में भारत के 30 राज्यों के 118 सेवा साधकों को ₹ 2.25 करोड़ राशि द्वारा सम्मानित किया है जिनमें से बाद में 6 सेवा साधकों को भारत सरकार द्धारा पद्म सम्मान दिया।
संत ईश्वर फाउंडेशन की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री वृंदा ने संत ईश्वर सम्मान की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह सम्मान व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में मुख्यतः चार क्षेत्र- जनजातीय , ग्रामीण विकास, महिला-बाल विकास एंव विशेष योगदान (कला, साहित्य,पर्यावरण,स्वास्थ्य और शिक्षा) में तीन श्रेणियों, एक विशेष सेवा सम्मान, 4 विशिष्ट सेवा सम्मान(₹5,00,000 प्रत्येक) एवं 12 सेवा सम्मान (₹1,00,000 प्रत्येक )में दिया जाता है। जिसमें क्रमशः शॉल, ₹500000 राशि प्रत्येक एवं एक लाख राशि प्रत्येक एवं सभी विजेताओं को शॉल ,ट्रॉफी, प्रमाण पत्र व प्रतीक मुद्रा सहित प्रत्येक वर्ष कुल ₹32 लाख की धनराशि से व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है।इस वर्ष संत ईश्वर विशेष सम्मान भारतीय अंतरिक्ष
अनुसंधान संगठन इसरो को दिया गया है।चंद्रयान-3 व आदित्य एल1 की सफलता ने भारतीयों का सम्मान विश्व में बढ़ा दिया है इसरो वैज्ञानिकों को उनकी इस विशिष्ट सेवा के लिए विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया।वहीं जनजातीय क्षेत्र में रूरल एजुकेशन एंड डेवलपमेंट सोसाइटी, जशपुर ,छत्तीसगढ़ को (विशिष्ट सेवा सम्मान ), आदिवासी जनजातीय बच्चों के बौद्धिक,शारीरिक,मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्तर को सुधारने में कृत संकल्प देशज प्रतिष्ठा को संत ईश्वर सेवा सम्मान, धनुर्विद्या में पारंगत, गुरु शिष्य परंपरा के संवाहक के. गोविंदन वायनाड ,केरल व बिनिता जिगडुंग ,दीमापुर, नागालैंड को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।