By Nimish Hemant

Edited By: Geetarjun

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों के वितरण प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पहले मांगने वालों को पद्मश्री पद्मविभूषण व भारत रत्न जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान मिलते थे। लोग भी सम्मान के लिए सेवा कार्य करते थे और उसके लिए खूब दौड़ भाग करते थे लेकिन अब नई व्यवस्था देखी जा रही है।

HIGHLIGHTS

पूसा स्थित एनएएससी काम्प्लेक्स में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन।

संघ के पूर्व सरकार्यवाह ने कहा- प्रतिष्ठा के लिए नहीं है सेवा।

चंद्रयान व आदित्य एल-वन की सफलता के लिए इसरो के वैज्ञानिकों के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य करने वाले लोग किए गए सम्मानित।

 जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के पूर्व सरकार्यवाह भय्या जी जोशी ने पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कारों के वितरण प्रक्रिया को कठघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पहले मांगने वालों को पद्मश्री, पद्मविभूषण व भारत रत्न जैसे प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मान मिलते थे। लोग भी सम्मान के लिए सेवा कार्य करते थे और उसके लिए खूब दौड़ भाग करते थे, लेकिन अब नई व्यवस्था देखी जा रही है।

सम्मान अब योग्य व्यक्तियों को ढुंढते हुए खुद पहुंच रहा है। यह बड़ा परिवर्तन आया है। वह पूसा स्थित एनएएससी कॉम्प्लेक्स स्थित भारत रत्न सी सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम में संत ईश्वर फाउंडेशन व राष्ट्रीय सेवा भारती के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित संत ईश्वर सम्मान समारोह-2023 को संबोधित कर रहे थे।

दिए गए 18 पुरस्कार

विशेष बात कि इस समारोह में चंद्रयान व आदित्य एल-वन की सफलता के लिए इसरो को सम्मानित किया गया, उसके वैज्ञानिक ऋतु करिधल श्रीवास्तव व एक अन्य वैज्ञानिक ने यह पुरस्कार ग्रहण किया। इसके साथ ही जनजातीय, ग्रामीण विकास, महिला-बाल विकास व विशेष योगदान को लेकर कुल 18 पुरस्कार दिए गए।

भय्या जी जोशी ने स्पष्ट किया कि सेवा से प्रतिष्ठा है प्रतिष्ठा के लिए सेवा नहीं है। यह सर्विस भी नहीं है, जो किसी लालच या लक्ष्य के लिए हो। बल्कि व्यक्ति में श्रेष्ठतम को जगाने और उन्हें खुद के पैरों पर खड़ा करने का प्रयास ही सच्ची सेवा है। इसके लिए साधन, बुद्धि और धन की नहीं बल्कि मन की शक्ति और आंतरिक ऊर्जा व निस्वार्थ भाव की आवश्यकता होती है।

 “सेवा परमो धर्म: व कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन का जिक्र करते हुए कहा कि प्राचीनता से ही भारत के रक्त में सेवा हैं। हम कालखंड से यह देखते और जीते आए हैं। अंतरिक्ष विभाग के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि चंद्रयान-3 के माध्यम से भारत ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में जो प्रभुसत्ता स्थापित की है, जरूरी है कि उसका गुणगान घर-घर हो।

उन्होंने कहा कि पहले भी इसे लेकर प्रतिबद्धता थी, आंखों में सपने और साधन के अभाव में प्रतिस्पर्धा का साहस था, लेकिन नहीं था तो वह वातावरण, जो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि संत ईश्वर फाउंडेशन समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचित लोगों के जीवन में बदलाव के लिए कार्य कर रही है। इससे देश के युवाओं को प्रेरणा मिली है कि समाज में जहां जरूरत हो वो भी वहां काम कर सकते हैं। संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने बताया कि आठ वर्ष पूर्व पहली बार संत ईश्वर सम्मान देना प्रारंभ हुआ था।

फाउंडेशन की राष्ट्रीय महासचिव वृंदा ने बताया कि यह सम्मान व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में मुख्यतः चार क्षेत्रों में तीन श्रेणियों में प्रदान किया जाता है। अब तक 30 राज्यों के 118 विजेताओं को 2.25 करोड़ रुपये वितरित की गई है।