–पूसा इंस्टीट्यूट में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन

– चंद्रयान व सूर्य अभियान के इसरो वैज्ञानिकों का किया गया सम्मान।

देश के सुदूर स्थानों पर सेवा कर रहे 18 समाजसेवियों/संस्थाओं को दिया गया संत ईश्वर सम्मान।

संत ईश्वर सम्मान कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सरकार्यवाह भैय्या जी जोशी ने कहा कि एक कालखंड ऐसा था, जब लोग सम्मान के लिये काम करते थे लेकिन आज भारत सरकार और संत ईश्वर संस्थान के माध्यम से सम्मान लोगों को ढूंढते हुए उनके पास जा रहे हैं, चाहे वह पद्मश्री, पद्मभूषण, भारत रत्न या संत ईश्वर सेवा सम्मान हो। प्राचीन ग्रथों में सेवा को धर्म के रुप में कहा गया है ” सेवा परमो धर्मां:”, भगवतगीता में भी कर्मण्येवाधिकारस्ते कहा गया हैं, क्योंकि भारत के रक्त में ही सेवा हैं। सेवा के लिये धन, बुध्दि, साधन हो ऐसा जरुरी नहीं हैं, अंतर्मन के भाव के बिना सेवा संभव नहीं हैं | हम कालखंड से ही देखते आए हैं, गाय को रोटी और पक्षियों को दाना खिलाया जाता हैं। अतिथि देवो भव की संस्कृति भारत की हैं, दरवाजे पर आए को विन्मुख हो कर ना भेजना ऐसा होता आ रहा है इस लिये भारत का व्यक्ति कहता हैं कि धरती पर केवल मेरा अधिकार नहीं हैं, पशु, पक्षी, देव, मानव सबका हैं और ईश्वर की आराधना के रुप में भी हम सेवा ही करते हैं,इसलिये सेवा का दायरा सीमित नहीं हैं | अंदर से ईश्वर को जागृत करना ही सच्ची सेवा हैं | जो संत ईश्वर सेवा फाऊंडेशन कर रहा है |

सामाजिक सेवा संगठन संत ईश्वर फाउंडेशन व राष्ट्रीय सेवा भारती के संयुक्त तत्वाधान में राजधानी दिल्ली के नवनिर्मित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान परिसर, सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम पूसा संस्थान आयोजित इस समारोह में स्वामी चिदानंद सरस्वती जी (अध्यक्ष, परमार्थ निकेतन ,ऋषिकेश), विशेष सान्निध्य श्री सुरेश भैय्या जी जोशी (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ), मुख्य अतिथि श्री ओम बिरला जी (लोकसभा स्पीकर), विशिष्ट अतिथि डॉ. जितेंद्र सिंह (केंद्रिय राज्य मंत्री,भारत सरकार) के सान्निध्य में संत ईश्वर सम्मान समारोह का आयोजन हुआ।

इस समारोह का उद्देश्य उन व्यक्तियों ,सेवा साधकों एवं संस्थाओं को सम्मानित करना है जो अपने जीवन में प्रचार-प्रसार से दूर रहकर केवल समाज की सेवा में रत राष्ट्र निर्माण में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। इसके पहले ओम बिरला ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों में जिन्होंने उत्कृष्ट कार्य किया जिससे समाज की प्रेरणा मिलेगी। संत ईश्वर फाउंडेशन समाज के आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े और वंचित लोगों के जीवन में बदलाव के लिए कार्य कर रही है । महात्मा गांधी ने भी समाज में बदलाव के लिए के वांछितों के लिए कार्य किया था । संत समाज की प्रेरणा से देश की युवाओं को प्रेरणा मिली है कि समाज में जहां ज़रूरत हो वो भी वहां काम कर सकते हैं । आज ज़रूरत है वंचित समाज को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना । जो सेवा भारती कर रही है और के उन्हें स्वाब्लंबित कर रही है ।

केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह जी ने कहा कि कार्यपद्धति , पुरस्कार चयन , दिव्यांगनों का चयन , वैज्ञानिकों का चयन , संत ईश्वर फाउंडेशन समाज के ऐसी विभूतियों को सामने लाने का काम कर रही है । जीवन संग्राम है , कौन जीता , कौन हारा ये ज़रूरी नहीं है , ज़रूरी है जीवन के संग्राम में रहना । जीवन संग्राम पुस्तक के लिये संत ईश्वर को बधाई। संत ईश्वर फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने “संत ईश्वर सम्मान’ का परिचय देते हुए बताया कि “संत ईश्वर सम्मान’ की संकल्पना 9 वर्ष पूर्व हुई थी और 8 वर्ष पूर्व पहली बार संत ईश्वर सम्मान देना प्रारंभ हुआ था।

संत ईश्वर सम्मान ने 8 वर्षों में भारत के 30 राज्यों के 118 सेवा साधकों को ₹ 2.25 करोड़ राशि द्वारा सम्मानित किया है जिनमें से बाद में 6 सेवा साधकों को भारत सरकार द्धारा पद्म सम्मान दिया। संत ईश्वर फाउंडेशन की राष्ट्रीय महासचिव सुश्री वृंदा ने संत ईश्वर सम्मान की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह सम्मान व्यक्तिगत एवं संस्थागत रूप में मुख्यतः चार क्षेत्र- जनजातीय , ग्रामीण विकास, महिला-बाल विकास एंव विशेष योगदान (कला, साहित्य, पर्यावरण,स्वास्थ्य और शिक्षा) में तीन श्रेणियों, एक विशेष सेवा सम्मान, 4 विशिष्ट सेवा सम्मान(₹5,00,000 प्रत्येक) एवं 12 सेवा सम्मान (₹1,00,000 प्रत्येक )में दिया जाता है। जिसमें क्रमशः शॉल, ₹500000 राशि प्रत्येक एवं एक लाख राशि प्रत्येक एवं सभी विजेताओं को शॉल ,ट्रॉफी, प्रमाण पत्र व प्रतीक मुद्रा सहित प्रत्येक वर्ष कुल ₹32 लाख की धनराशि से व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाता है। इस वर्ष संत ईश्वर विशेष सम्मान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन “इसरो’ को दिया गया है। चंद्रयान-3 व आदित्य एल1 की सफलता ने भारतीयों का सम्मान विश्व में बढ़ा दिया है। इसरो वैज्ञानिकों को उनकी इस विशिष्ट सेवा के लिए विशेष सम्मान से सम्मानित किया गया। वहीं जनजातीय क्षेत्र में रूरल एजुकेशन एंड डेवलपमेंट सोसाइटी, जशपुर ,छत्तीसगढ़ को (विशिष्ट सेवा सम्मान ), आदिवासी जनजातीय बच्चों के बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक, शैक्षणिक और आर्थिक स्तर को सुधारने में कृत संकल्प देशज प्रतिष्ठा को संत ईश्वर सेवा सम्मान, धनुर्विद्या में पारंगत, गुरु शिष्य परंपरा के संवाहक के. गोविंदन वायनाड ,केरल व बिनिता जिगडुंग ,दीमापुर, नागालैंड को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

सुनील अर्जुन राव शिंदे जलना, महाराष्ट्र ने 2000 से अधिक किसानों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कृषि उपकरणों का आविष्कार व निर्माण किया है जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। उन्हें इस वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

ग्रामीण क्षेत्र के ही रामचरण लोधा गुराड़ी, राजस्थान, पातालचंडी कल्याण समिति, पश्चिम बंगाल व गोपाल डोंडिया उज्जैन, मध्य प्रदेश को जल संरक्षण व वृक्षारोपण कार्य के लिए संत ईश्वर सेवा सम्मान दिया गया।

महिला एवं बाल विकास क्षेत्र से भानुप्रिया भट्ट जोधपुर, राजस्थान जो विगत कई वर्षों से केवल एक रुपए प्रति माह की दर से बच्चों को शिक्षा प्रदान करने का कार्य कर रही है को संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया । वही अर्चना शर्मा मध्य प्रदेश, भोपाल को पराधी खानाबदोश जनजाति के बच्चों के भविष्य को संवारने के कार्य के लिए व आचार्या डॉक्टर सुमेधा, अमरोहा, उत्तर प्रदेश विगत तीन दशकों से भी अधिक समय से निर्धन परिवारों की बालिकाओं की शिक्षा के लिए कार्यरत हैं को भी संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

तेजस्विनी सेवा प्रतिष्ठान, बिलासपुर ,छत्तीसगढ़ की कुष्ठ रोग से पीड़ित बालिकाओं के स्वास्थ्य के लिए प्रयासरत संस्थान को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

विशेष योगदान क्षेत्र में सुमित कुमार तुरहपाड़ी ,बिहार से ऐसे बच्चों के लिए कार्यरत हैं जो शमशान घाट पर आने वाले पार्थिव देहों से कपड़े, पैसे, फल इत्यादि लूटने का काम करते हैं। उनकी शिक्षा ,दीक्षा और भविष्य की चिंता करने वाले सुमित कुमार को विशेष योगदान लिए संत ईश्वर सेवा सम्मान दिया गया।

“द अर्थ सेवियर्स फाऊंडेशन’ गुरुग्राम, हरियाणा के रवि कालरा अब तक 1000 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों व मानसिक रूप से दिव्यांग लोगों की देखभाल का कार्य कर रहे हैं, को वर्ष 2023 के संत ईश्वर सम्मान से सम्मानित किया गया।

देशभर में वृक्षारोपण को बढ़ावा देने, साइकिल यात्रा द्वारा कुल 18000 किलोमीटर, 28 राज्यों को कवर करने वाले व 2,02,743 पेड़ लगाने वाले सुंदरम तिवारी ,प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया। कृषि की प्राचीन व पारंपरिक विधियों पर शोध कार्य करने वाले पवन कुमार कोटा ,राजस्थान से व एक ही वर्ष में 95 पदक जीतने वाली 95 वर्षीय एथलीट दादी भगवानी देवी डागर नजफगढ़, दिल्ली को संत ईश्वर सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।

इस प्रकार से इस वर्ष देश भर से समाज कल्याण में लगे 18 व्यक्तियों एवं संस्थाओ को सम्मानित किया गया।

पिछले साल 2022 में संत ईश्वर फाउंडेशन ने “सेवा परमो धर्म ‘अपने सौ सेवा साधकों को समर्पित पुस्तक का विमोचन भी किया था।

संत ईश्वर सम्मान निर्णायक मंडल में श्री एस. गुरुमूर्ति,(सी.ए.), निदेशक (भारतीय रिजर्व बैंक) ,श्री प्रमोद कोहली- सेवानिवृत्ति मुख्य न्यायाधीश (सिक्किम उच्च न्यायालय), सेवानिवृत्ति अध्यक्ष केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट), पद्मश्री जवाहरलाल कौल- वरिष्ठ पत्रकार, पद्मश्री राम बहादुर राय- अध्यक्ष इंदिरा गांधी कला केंद्र ,(वरिष्ठ पत्रकार), श्री पन्नालाल भंसाली- अध्यक्ष राष्ट्रीय सेवा भारती, श्री गुणवंत कोठारी -अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य, राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ एवं श्री कपिल खन्ना- अध्यक्ष संत ईश्वर सम्मान समिति हैं।

“संत ईश्वर फाउंडेशन’ परिवार की स्थापना प्रसिद्ध समाज सेवी श्रीमान खैराती लाल खन्ना जी ने 2002 में की थी व वर्तमान में उनके पुत्र श्री कपिल खन्ना जी इस संस्था के अध्यक्ष हैं। “संत ईश्वर सम्मान समारोह’ की स्थापना 2015 में कपिल खन्ना जी ने अपने पिताजी के सम्मान में की थी । यह संस्था अनवरत सेवा साधकों को सम्मानित करने का कार्य कर रहा है। इसके साथ ही महासचिव सुश्री वृंदा की पुस्तक “सेवा परमो धर्म’ भी प्रकाशित हो चुकी है जो सामाजिक सेवा के महत्व को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कड़ी है।

इस अनूठे सम्मान समारोह में सुब्रमण्यम ऑडिटोरियम खचाखच भरा हुआ था, लग रहा था पूरी दिल्ली ही इन सेवाव्रतियों का सम्मान करने उमड़ पड़ी थी। लगभग 1500 लोगों की उपस्थिति ने कार्यक्रम को और भी दिव्य व भव्य बना दिया। संत ईश्वर फाउंडेश,सेवा भारती व अशोक सिंघल फाउंडेशन के लगभग 500 कार्यकर्ता व्यवस्था में तैनात थे।